
एमडीडीए की सख़्त कार्रवाई: सहस्त्रधारा रोड, एकता विहार और वन विहार में अवैध भवन सील
देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के तहत मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान को तेज़ कर दिया है। उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी की निगरानी में एमडीडीए की टीम ने सहस्त्रधारा रोड, एकता विहार और वन विहार क्षेत्र में अवैध व्यवसायिक/आवासीय भवनों पर सीलिंग की कार्यवाही की।
एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा,
“नियम विरुद्ध निर्माण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में योजनाबद्ध और संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।”
इन क्षेत्रों में हुई कार्रवाई:
सहस्त्रधारा रोड (आमवाला तरला):
टमित पाल द्वारा स्वीकृत तीन अलग-अलग आवासीय भवनों को जोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई। संयुक्त सचिव गौरव चटवाल के आदेशानुसार इन्हें सील किया गया।
ओर्चिड पार्क कॉलोनी, हैलीपैड रोड:
संजीव द्वारा बिना मानचित्र स्वीकृति के किए गए निर्माण पर सीलिंग की गई।
गंगोत्री विहार, वेस्ट कैनाल रोड:
महमूद हसन द्वारा अवैध रूप से निर्मित दो दुकानों को सील किया गया।
एकता विहार, कैलाशपुर रोड:
मो. इंतज़ार द्वारा किए जा रहे निर्माण पर सीलिंग की कार्रवाई हुई।
वन विहार, सपना हॉस्टल के निकट:
स्मीर हुसैल द्वारा बिना स्वीकृति के किए गए निर्माण को सील किया गया।
टीम मौके पर रही सक्रिय
इन कार्रवाइयों के दौरान सहायक अभियंता शैलेन्द्र सिंह रावत, विजय सिंह रावत, अवर अभियंता जितेंद्र सिंह और सुपरवाइज़र की टीमें मौके पर मौजूद रहीं।
“नियम तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा” – बंशीधर तिवारी
एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने सख्त संदेश देते हुए कहा:
“मुख्यमंत्री जी की मंशा स्पष्ट है — नियोजनहीन और अवैध निर्माण पर पूरी सख्ती से कार्रवाई की जाए। एमडीडीए की टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं और भविष्य में भी यह अभियान जारी रहेगा।”
जनता से अपील
एमडीडीए ने आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी प्रकार की प्लॉटिंग या निर्माण कार्य शुरू करने से पूर्व मानचित्र स्वीकृति व वैधता की पुष्टि अवश्य करें। नियमों की अनदेखी न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि कानूनी कार्यवाही की वजह भी बन सकती है।
निष्कर्ष:
एमडीडीए की इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड सरकार अवैध निर्माण और प्लॉटिंग के खिलाफ पूरी तरह “एक्शन मोड” में है।
इस प्रकार की कार्रवाइयों से न केवल शहरों का सुनियोजित विकास सुनिश्चित होगा, बल्कि पर्यावरण और बुनियादी ढांचे पर बढ़ते दबाव से भी राहत मिलेगी।